स्वास्तिक भगवान श्री गणेश जी का चिह्न माना गया है। वैदिक काल से स्वास्तिक एक ऐसा जिन्ह है जो श्रेष्ठ ऊर्जा का केंद्र बिंदु है।
जितने भी धर्म संप्रदाय है सभी धर्मों व संप्रदायों के सभी चिन्हों में स्वास्तिक चिन्ह सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र है यह बात वैज्ञानिक रिसर्च में भी साबित हो चुकी है।
स्वास्तिक का अर्थ है अच्छा या मंगल व कल्याण करने वाला इसलिए वैदिक काल से ही शुभ कार्यों में घरों,पूजा स्थलों व मंदिरों में स्वास्तिक चिन्ह का निर्माण किया जाता है।
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⚛️स्वास्तिक चिन्ह---:
स्वास्तिक के चिन्ह में जो चार रेखाएं होती है वह चारों तरह के पुरुषार्थ धर्म अर्थ काम मोक्ष को इंगित करती है। इसी तरह चारों तरह की मुक्ति, चार तरह के अंतः करण और भक्ति के चारों स्तंभ के चिन्हों को यह स्वास्तिक का चिन्ह इंगित करता है।
⚛️स्वास्तिक की महिमा---:
स्वास्तिक की महिमा बहुत ज्यादा है यह ब्रह्मांड का भी प्रतीक चिन्ह है। इसका सही निर्माण करना प्रयोग करना और इसका आदर करना बेहद जरूरी है।
स्वास्तिक चारों दिशाओं से शुभ और मंगल को आकर्षित करता है। इसकी जो चार भुजाएं होती है यह चारों दिशाओं से पॉजिटिव एनर्जी अर्थात शुभता को खींचकर केंद्रित करता है,इसलिए स्वास्तिक का इस्तेमाल घर, पूजा स्थानों, अस्पतालों व पढ़ने लिखने की जगह पर किया जाता है।
⚛️स्वास्तिक का सही निर्माण और प्रयोग अनिवार्य--:
स्वास्तिक बेहद प्रभावशाली और शुभ होता है, अगर यह सही तरीके से बना हुआ हो तो यह बहुत ज्यादा पॉजिटिव एनर्जी पैदा करता है ये ऊर्जा वस्तु या व्यक्ति की रक्षा व सुरक्षा में मदद करती है। यानी स्वास्तिक की चारों भुजाएं ठीक बनी हुई होनी चाहिए। स्वास्तिक की रेखाएं और कोण बिल्कुल स्पष्ट व सीधी होनी चाहिए व स्वास्तिक लाल व पीले रंग से बनाना चाहिए।
स्वास्तिक उल्टा-टेढ़ा-मेढा व गलत तरीके से नहीं बनाना चाहिए। स्वास्तिक को गलत चीजों व गलत जगह पर भी नहीं बनाना चाहिए जैसे- चादर, तकिया, पहनने के कपड़े या फालतू की वस्तुओं पर स्वास्तिक का निर्माण नहीं करना चाहिए।
स्वास्तिक को अशुद्ध जगह जैसे बाथरूम वगैरह की दीवारों पर भी नहीं बनाना चाहिए।
⚛️स्वास्तिक का प्रयोग कहां किया जा सकता है--:
➖घर में वास्तु दोष है वहां स्वास्तिक बना सकते हैं,लेकिन वह जगह साफ-सुथरी और पवित्र होनी चाहिए जैसे पूजा घर में आप स्वास्तिक बना सकते हैं।
➖घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का निर्माण किया जा सकता है, जहां पर आप सिंदूर से स्वास्तिक बना सकते हैं।
➖रसोई घर में भी स्वास्तिक बनाया जा सकता है। रसोई घर में कुमकुम व लाल रंग का स्वास्तिक बनाएं।
➖पढ़ाई के स्थान पर भी स्वास्तिक का निर्माण किया जा सकता है, यहां पीले रंग का स्वास्तिक बनाएं।
➖तिजोरी,दुकान, गल्ले, बही-खाते आदि पर भी स्वास्तिक बनाया जा सकता है, इन पर आप कुमकुम से स्वास्तिक बना सकते हैं।
➖ फैक्ट्री में मशीनों पर ,गाड़ियों पर, घर के इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे-फ्रिज,टीवी, लैपटॉप, कंप्यूटर इत्यादि पर भी स्वास्तिक बना सकते हैं।।
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